गोधूलि - 4 - अंतिम भाग

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गोधूलि (4) पिता ने इशारा किया। आका बाबा ने उनके हाथ से गिलास ले कर बोतल से थोड़ी कोन्याक डाली, कुछ बूँद गर्म पानी, फिर गिलास पिता को दे दिया। कुछ क्षण गिलास को नाक के आगे लहराते हुए पिता उससे उठने वाली गंध के रेशों को सूंघते रहे, फिर एक घूंट लिया, फिर बोले ‘‘जैसे कि, तुम इसे उन परियों की कहानियाँ सुनाओगी जिनके देश मे कछुए हरे और हिरण नीले होते हैं। घर कुकुरमुत्तों के होते हैं। झाड़ियाँ सितारों की बनी होती हैं। फूलों के पुल होते हैं जिन पर कोई खरगोश किसी राजकुमारी की गाड़ी खीचता हैं।