क्या नाम दूँ ..! - 1

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क्या नाम दूँ ..! अजयश्री प्रथम अध्याय “आखिर तुमने मुझे समझ क्या रखा है ! आज पाँच साल तक साथ रहने के बाद तुम कह रहे हो कि मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ ..इन पाँच सालों में शायद ही कोई दिन ऐसा हो जब तुमने मुझे इस छत के नीचे मेरी कोरी सफ़ेद चादर पर धब्बे न दिए हो एक, दो, तीन, चार, पाँच...गिनती कम पड़ जायेगी, पर तुम्हारी हवस की सिलवटें इस चादर पर आज भी दिखती हैं और तुम कहते हो मैं तुम्हारी पत्नी बनने के काबिल नहीं हूँ ” “क्या नहीं किया मैंने इस