बड़े बाबू का प्यार - भाग 5 14: पुराने यार

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भाग 5/14: पुराने यारअब तक दिवाकर पूरे सुरूर में आ चुके थे, बोले, “अबे कहाँ चल दिए...पूरा खाना बन गया है....शाम जवाँ हैं ....हमारे अन्दर आग लगा कर कहाँ चल दिए, वैसे भी कल सन्डे है मंदार....चुपचाप पेग बनाओ...हमारा जन्मदिन अभी ख़त्म नहीं हुआ है|”वैसे मंदार का जाने का मूड भी न था, वो तो पत्नी को दिया वादा था सो निकल रहा था पर जब कहानी इतने अच्छे मोड़ पर हो और रात पूरी बची हो तो कौन हिलता है भला| मंदार मुस्कराते हुए वापस सोफे पर आया, बोतल उठाई और पेग बनाने लगा|छठा पेग तैयार था और टेबल