बागी आत्मा 3

  • 5.8k
  • 1
  • 1.6k

बागी आत्मा 3 तीन रात के लगभग साढ़े बारह बज चुके थे। रात का सन्नाटा छाया हुआ था। तारों की रोशनी में रास्ता चलने में परेशानी नहीं हो रही थी। तभी लोगों की भाग-दौड़ की आवाज सुनाई पड़ने लगी। माधव सोचने लगा-कहीं डकैत तो नहीं हैं तभी रात में ये हलचल, ये संकेत की आवाजें सुनाई पड़ रहीं हैं। इस कस्बे में ऐसयी बारदातों का यह चौथा पाँचवा नम्बर है। माधव सारी स्थिति समझ गया। उसके मस्तिष्क में आया, क्या राव वीरेन्द्रसिंह खण्हर वाली गोशाला में इसी बात की मीटिंग हो रही थी। अब सब बातें जो