अनकही

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आज फेसबुक की दुनिया में विचरण करते हुए फ्रेंड सजेशन में एक अत्यंत पुराना परिचित चेहरा प्रौढ़ रूप में सामने दिखाई पड़ गया।यह सोशल मीडिया भी कमाल है,भानुमती के पिटारे की भांति अरसों से खोए मित्र-परिचित इसमें मिल जाते हैं, जिनके मिलने की कभी किंचित भी संभावना नहीं होती। खैर, मैंने फ्रेंड रिक्वेस्ट नहीं भेजा, किंतु यादों के गलियारे में भ्रमण करने अवश्य पहुंच गई। बीएससी प्रथम वर्ष में डिग्री कॉलेज में जब एडमिशन लिया था तब उससे मुलाकात हुई थी, वह अपनी बुआ के घर रहकर ग्रेजुएशन करने आया था, हालांकि उसके पिता अधिकारी थे और