दधि, अक्षत और दूर्वा

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दधि, अक्षत और दूर्वा रामरतन ने में शालिग्राम को नहलाया फिर दूर्वादल से पानी डाला और उन्हें कपड़े से पोंछकर वस्त्र पहनाये । फिर टीका लगाकर अछत चढ़ाये । उन्होंने प्रसाद भी लगाया । अपनी पूजा समाप्त कर वे कमरे से बाहर निकल ही रहे थे कि उन्हें आवाज सुनाई दी -‘‘ देखो पिताजी आज भाई साहब फिर से सब्जी ले जा रहे ंहै , इन्हें रोकते क्यों नहीं ’’ कहकर राधिका ने रामरतन की ओर देखा। पास में ही सविता खड़ी थी । रामरतन ने राधिका को प्यार से समझाते हुए कहा - ‘‘ ले जाने दे बेटी तेरा