हास्य कथा: दिवाली की झालर

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हास्य कथा : दिवाली की झालर नमस्ते! उम्मीद है आप सब अच्छे होंगे, अजी उम्मीद क्या पूरा विश्वास है| वैसे कई दिनों से लिखने की सोच रहा था पर लिख नहीं पा रहा था….वो क्या कहते है…करंट नहीं पहुँच रहा था| अब दिन में तो हजारों काम होते है…और लिखने के लिए चाहिए शांति और सुकून, तो हमारे जैसों के लिए तो रात ही अनुकूल है| कल रात की भी यही सोच थी कि खा–पी कर रात को लिखने की महफ़िल जमाएंगे….बस हम, हमारी डायरी और हमारा पेन| अब बस एक छोटा सा बहाना चाहिए था जिससे श्रीमति जी को अल्पावधि