लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 8 - अंतिम भाग

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लीव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (8) "धरम! ये तुम्हें क्या हो गया है। जागो! ये पापीन हम दोनों को मारकर संसार में हा-हा-कार मचा देगी।" बाबा टपाल की आत्मा से ये आवाज़ें धरम को जगाने के लिए उठ रही थी। बाबा टपाल को निश्चित ही निवेदिता ने अपने वश में कर लिया था, मगर उसकी आत्मा अब भी स्वतंत्र थी। वह केवल धरम को दिखाई दे रही थी। धरम का मोह भंग हुआ। वह जागा। अपने पास में बैठी निवेदिता को देखकर वह उठ खड़ा हुआ। लेकिन निवेदिता के आगे उसकी एक न चली। उसने धरम को