जिंदगी मेरे घर आना - 24

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जिंदगी मेरे घर आना भाग- २४ शरद को ड्राइंग रूम में बैठाकर नेहा ने किचन का रूख किया. जैसा कि उसे अंदेशा था. सोनमती ने ढेर सारी चीज़ें फैला ली थीं और अब लस्त-पस्त हो रही थी. ”इतना सारा क्या क्या बनाने लगी...तुम्हारी यही आदत है लाओ मैं कुछ मदद कर दूँ ““अरे नहीं दीदी जी बस हो गया...आप जाकर बैठो न.मैं फटाफट कर लूँगी. “ नेहा ने शिकंजी बनाने के लिए नीम्बू निकाले तो सोनमती लपक कर आई, “मैं बना देती हूँ...”“चुपचाप जो फैलाया है, उसे समेटो...जल्दी करो वरना पांच बजे लंच मिलेगा “ नेहा ने डपटा. जब नेहा