मिश्री धोबी फागों में

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कहानी , मिश्री धोबी फागों में राम गोपाल भावुक लाठी जाके हाथ में , भेंसें बाकी शान । आतंक यों बैठा हुआ ,जन-जीवन में आन।। ऐसी बातें हमारे जेहन में घर कर र्गईं हैं। प्राचीन काल से आज तक इसकी परिभाषा में परिवर्तन नहीं हुआ है। अब लाठी का स्थान पिस्तौल और बमगोलों ने ले लिया है। बेचारी लाठी कोने में टिकी रह गयी है। अब तो बूढे-ठेढ़े लोग ,चलने-फिरने के लिये उसे मजबूरी में हाथ में लेते हैं। तलवार युग के पहले इसकी जो बकत थी ,वह अब खत्म होगई है ,बेचारी