काला धन

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मैं घर से दूकान की तरफ जा रहा था । सुबह का खुशनुमा मौसम था । सडकों पर शोर शराबा लगभग नहीं होता है । अपनी धुन में चलते हुए मुझे किसी की बड़ी ही महीन सी आवाज सुनाई पड़ी ” अरे जनाब ! सुनिए !”मैं चौंक कर इधर उधर देखने लगा । आवाज महीन थी सो सोचा कोई दूर से पुकार रहा होगा । दूर तक नजर डाली लेकिन कहीं कोई नजर नहीं आया । सवालिया निगाहों से अपने आसपास का जायजा ले ही रहा था कि वही महीन सी धीमी आवाज पुनः सुनाई पड़ी ” अरे ! इधर