मानस के राम (रामकथा) - 45

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‌ मानस के राम भाग 45धन्यमालिनी का शोक करनाअपने पुत्रों की मृत्यु का समाचार सुनकर रावण दुखी अवस्था में अपने महल में बैठा था। जो उत्साह उसके मन में जागा था वह अपने पत्रों की मृत्यु का समाचार सुनकर फिर से समाप्त हो गया था। रावण भीतर ही भीतर छटपटा रहा था। अपने कुटुंबियों एवं अपनी जाति का विनाश अपनी आंँखों के सामने होते देखना उसके लिए तनिक भी सरल नहीं था। परंतु अब वह ऐसे