ये भी एक ज़िंदगी - 6

  • 4.5k
  • 1
  • 1.8k

अध्याय 6 घर में आकर बताया घर वाले भी बड़े खुश हो गए। लड़का मुकेश स्वतंत्र विचारों का है। लड़की यहां पर खुश रहेगी। मुकेश को कह दिया हम सब तैयार हैं। मुकेश ने भी कह दिया मैं तैयार हूं। मैं एम.ए. फाइनल में थी। जवान लड़की के मन में लड्डू तो फूटते ही हैं। पापा मम्मी को लगा हम बेकार में इतने परेशान हो रहे थे हमें तो बहुत बढ़िया लड़का मिल गया। लड़के मुकेश को बुलवाया गया। आ जाइए शादी पक्का-वक्का कर देते हैं। मुकेश जी पधार तो गए। पर कोई भी बात सीधे तरह से कह नहीं