ये भी एक ज़िंदगी - 7

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अध्याय 7 "आप आ गई हमें बहुत अच्छा लगा। अब आप गांव में मत जाना यही रहना हम लोगों को अच्छा लगेगा ।" क्या जवाब दूं सोचूं इससे पहले पति मुकेश बोले "अजी यह पढ़ रही है ना? अभी थोड़े दिन में चली जाएगी। एग्जाम देकर आ जाएगी। गांव में भी तो रहना पड़ेगा।" मैं बेवकूफ जैसे हंस दी। यह क्या हो रहा है? मेरे तो कुछ भी समझ में नहीं आया। मैंने पहुंचने की कुशलता का पत्र मम्मी-पापा को भेज दिया था । इससे ज्यादा मैं और क्या करती। मुझे लगा कब मैं भोपाल जाऊं और सब कुछ मां