आजादी - 26

  • 4.5k
  • 1.4k

राहुल के चेहरे पर विजयी मुस्कान फैली हुई थी । रोहित और उसके साथियों को अपनी बात समझाने में वह कामयाब हो गया था । उसके अपने साथी पूरी तरह से उसकी बात मानने के लिए तैयार बैठे थे । उनके पास और कोई चारा भी तो नहीं था । उसने रोहित को अपने करीब बुलाया और मनोज सहित सभी बच्चों को लक्ष्य करके बोलना शुरू किया ” हाँ ! तो मनोज मैं ये पूछ रहा था कि ऐसी ही शीशी तुमने असलम भाई के यहाँ देखी थी और तुम सब का जवाब हां में था । लेकिन मैंने ऐसा