आजादी - 33

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पुलिस की जीप तीव्र गति से रामनगर की तरफ दौड़ी जा रही थी । ड्राईवर काफी मुस्तैदी से गाडी चला रहा था लेकिन विनोद को ऐसा लग रहा था जैसे वह बहुत ही नाकारा चालक हो । गाड़ी नहीं बैलगाड़ी चला रहा हो । उसका मन कर रहा था ‘ ,काश ! उसके पंख होते तो वह कब का अपनी मर्जी से वहां रामनगर पहुँच गया होता । और थोड़ी ही देर में पूरा रामनगर छान लिया होता । कहीं न कहीं राहुल अवश्य उसे मिल जाता । बहरहाल समय अपनी चाल से चलता रहा और पुलिस की गाड़ी आंधी