तोड़ के बंधन - 11 - अंतिम भाग

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11 इन दिनों मिताली कुछ ज्यादा ही सोचने लगी है. माथे पर दिखती तीन लकीरें दिनोंदिन स्थायित्व की ओर बढ़ रही है. लेकिन सिर्फ सोचते रहने से ही क्या होता है. जितना वह विचारों के अंधड़ में विचरती, उतनी ही अधिक धूल से सन जाती. “माँ! कहाँ खोई रहती हो आजकल ? जानती हो ज्यादा सिर खपाने से बाल सफ़ेद होने लगते हैं?” निधि उसे सामान्य करने की कोशिश करती जिसे मिताली सिर्फ मुस्कुरा कर टाल देती. दूसरी तरफ विशु यह सोचकर ग्लानि से भर उठता कि माँ की परेशानी का कारण वही है लेकिन उसे भी मिताली गले लगाकर