ये भी एक ज़िंदगी - 10 - अंतिम भाग

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अध्याय 10 मेरी बहू ने एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया। बहुत ही प्यारी बच्ची। मेरी जान उसमें रखी थी। वह भी मुझे दादी-दादी कहकर मुझ पर जान देती थी। अच्छी होशियार बच्ची थी। मूलधन से ब्याज प्यारा होता है। मुझे भी बहुत प्यारी लगती थी । खैर इन सबके बीच में मेरे पति फिर बीमार हो गए। मेरे पति के पेट में एक बहुत बड़ी गांठ हो गई। टेस्ट में पता चला गांठ बहुत बड़ी है। एक टेस्ट में सही रिपोर्ट आई एक में कैंसर का डाउट हुआ। इतनी बड़ी गांठ थी कि पसलियों को तोड़कर गांठ को