भूल (विज्ञान-गल्प)

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वैज्ञानिक अविष्कारों ने दुनिया के सामने एक मायावी संसार खड़ा कर दिया है. अनेक रहस्यों पर से शनैः शनैः पर्दा उठता जा रहा है. कई कल्पनाएं आकार ले चुकी हैं. कितने ही सपने साकार हो चुके हैं. विधाता की बनाई दुनिया के वर्तमान स्वरूप को देखकर ईश्वर की अनुपम कृति इंसान स्वयं को विधाता के समतुल्य मानने के भ्रम में है.विश्वविख्यात वैज्ञानिक डॉ. परिमेय जैव जगत के अपने अविष्कारों को देखकर खुद ही अचंभित हैं. उनका बचपन बहुत अभावों में बीता. माता पिता के अलगाव से वे इतने व्यथित रहे कि विवाह नामक संस्था से उनका विश्वास खत्म हो गया.