मरा कुत्ता’ (व्यंग्य कथा)

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‘‘मरा कुत्ता’’ शहर से दूर एक माईन्स एरिया के थाने में उदासी का आलम हैैै। थानेदार को ऊपर से खबर आयी है कि किसी विशेष आयोजन के लिए पैसों का बंदोबस्त करना है। थानेदार ने हवलदारों को और उन्होनें सिपाहियों को ये खबर दी। यहाँ आमतौर पर छोटी-मोटी वारदात ही होती है। बड़े आसामियों ने ऊपर से ही सेटिंग की हुई है। इसलिए थाने की कुछ खास आवक नहीं। कभी-कभी सड़क पर आने-जाने वाले वाहनों से छोटे-मोटे केसों, शराबियों और जुआरियों से सबकी रोजी-रोटी चलती है। ऐसे में विशेष आयोजन हेतु व्यवस्था करना सभी को कठिन काम लगने लगा।