जिंदगी से मुलाकात - भाग 10

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मैं जिंदगी के उस दोहराएं पर खड़ी थी जिस दौर है पर मुझे सिर्फ एक को चुनना था जीवन या फिर मां।जीवन को चुनती तो वहा उसके साथ बहुत खुश रहती और अगर मां को चुनौती तो जीवन को हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर जाना पड़ता।मैंने काफी सोचा मैं हैदराबाद में ना जाऊ पर मैं यहां सब कुछ छोड़ कर अपना सपना ही तो पूरा करने आई थी। अपना सब कुछ छोड़ एक अनजान शहर में इतना सब कुछ सहन करने के बाद मैं पीछे कैसे हट सकती थी। मां को कीमोथेरेपी के लिए पैसा चाहिए था, भाई की एडमिशन