सौन्दर्य का लक्षण

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मानव जीवन और सौन्दर्य बोध सृष्टि के आदिकाल में जब से मानव ने प्रकृति के सान्निध्य में रहकर चेतना का विकास किया है , सौन्दर्य के प्रति उसका निरन्तर आकर्षण रहा है । प्रकृति के वैविध्य में उसे सौन्दर्य बोध होता रहा है । सौन्दर्य शब्द का प्रयोग जितना सामान्य एवं व्यापक है उसका अर्थ उतना ही दुर्बोध एवं विवादास्पद है साधारणतया जिस वस्तु से मानव मन में कोई सुखद अनुभूति का बोध होता है उसको वह सुन्दर कहता है । प्रातःकालीन उषा की लालिमा , निरभ्र आकाश की नीलिमा , शारदीय पूर्णिमा की ज्योत्स्ना , नवरंगी इन्द्रधनुष , रक्ताभ कमल