काव्य में गृहीत सौन्दर्य और रसानुभूति

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कवि कर्म की सार्थकता सौन्दर्य सृष्टि में है । सौन्दर्य एक अखण्ड वस्तु है , उसकी अनुभूति ही पराकाष्ठा को पहुँचकर रसनिष्पत्ति कहलाती है । सौन्दर्य तत्व का विश्लेषण करते समय सौन्दर्य के तीन रसों का उद्भावन होता है । 1. संवेदना का सौन्दर्य 2. रूपगत सौन्दर्य और 3. अभिव्यंजनागत सौन्दर्य अनेक सौन्दर्य - शास्त्रीयों द्वारा इन्हें भोगरूप और अभिव्यक्ति के सौन्दर्य के नाम से अभिहित किया गया है । अनुभूति का एक अंश है संवेदना संवेदना इन्द्रियों द्वारा गृहीत होती है । रूप , रंग , स्पर्श