कालिदास के काव्य में सौंदर्य विधान एक समीक्षा

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कालिदास के काव्य में सौंदर्य विधान एक समीक्षासमीक्षक डॉ रामेश्वर प्रसाद गुप्तासेवानिवृत्त प्राध्यापक संस्कृत जिला दतियावसुधैवकुटुम्बक या विश्वबन्धुत्व के महनीय भावोपेत मनीषी महर्षियों एवं तेजस्वी तपस्वियो की इस मातृभूमि की संस्कृति के तीन विशिष्ट गुण सत्य शिव और सौंदर्य विश्व विख्यात है सौंदर्य समृद्धि को सुंदर और असुंदर सभी मानव चाहते हैं लेकिन जब वह सौंदर्य सत्य और शिव कल्याण समन्वित होता है तो उसका अलग ही मनोहारी एवं लोक कल्याणकारी रूप उजागर होता है तब वह विश्व कल्याण का कारक बनता है महाकवि कालिदास के काव्य में प्राकृतिक एवं मानवीय अंतर है सौंदर्य प्रकार से ही अपने उन में