नविता की कलम से... - 9 - कम्पेयर ना करना किसी का ....poetry

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✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️??✍️✍️✍️✍️✍️✍️??कम्पेयर ना करना किसी का ??कम्पेयर ना करना किसी कामैं खुद मे ही रहती हो ना मुझ जैसा कोई है ना किसी जैसी मैं हो फिर क्यों करना कम्पेयर मुझी कामैं नहीं चाहती खुद को बदलना मैं जैसी हो वैसी ही रहो ना मैं चाहती किसी को खुद के लिए बदलना जो जैसा है वैसे ही रहे फिर क्यों करना कम्पेयर किसी का मैं तो रहो मुझ में ही l.....................................करता कोई जब कम्पैरिंग खुदी का होता नुकसान उसी का जिस से करते तुम खुद की कम्पैरिंग वो तो होता अनजान तुम्ही सा दुसरो जैसा बनाने लगे जो खुद को खो देता वो पहचान खुदी का फिर क्यों करना कम्पैरिंग खुदी का नुक्सान तो होता उसी का l.................................................करता