आभार (व्यंग्य )

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आभार (व्यंग्य ) हमारे यहाॅ कोई भी मंचीय कार्यक्रम हो बहुत ही पारंपरिक तरीके से ही होता है । पूरे कार्यक्रम के पश्चात् जब लोग उठ कर जाने लगते है, अतिथी अपना स्थान छोड़ कर स्वल्पाहार कक्ष की ओर प्रस्थान कर रहे होते है ,दरी और पंडाल लगाने वाले समेटने की तैयारी कर रहे होते है । तब एक व्यक्ति बड़ी ही तन्मयता के साथ आभार व्यक्त कर रहा होता है । अक्सर आभार व्यक्त करने वाला वह व्यक्ति होता जिसे चलते कार्यक्रम में माईक देना खतरे से खाली नहीं होता । ये व्यक्ति ऐसा होता है जिसे बोले