सधी आंच

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"कितनी बार कहा है कि, सुबह उठते ही मत बताया करो कि क्या दर्द है क्या तकलीफ है , सुबह सुबह ही शुरू हो गया तुम्हारा राग..'' वो गुस्से से भरा हुआ था "मैंने कहां बताया आपने खुद ही तो पूछा कि, क्या हुआ? "हां- हां गलती हो गयी, आंख खुली तो तुम्हारी शक्ल पर बारह बजे हुए थे अब मुंह बनाये रहोगी तो इंसान पूछेगा नही कि क्या हुआ ? उसकी बात सुनकर अनु खिन्न हो गयी 'पूछना भी है और सुनना भी नही है' हद है यार... वो चुप हो गयी ,उसकी आदत थी जब उसे लगता कि