मेरी मोहब्बत कौन...?(भाग 03)

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मंदिर में काफी भीड़ इकट्ठी हो चूकी थी हेमंत हाथ जोड़कर भोलेनाथ से प्राथना करने ही वाला है कि तभी अचानक हेमंत की नजर हेमाश्रि पर जाती है जो उसके ठीक बगल में खड़ी थी।"हे...हाई...",हेमंत उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है"हाई... तुम यहाँ कैसे... कहीं पीछा तो नहीं कर रहे ना...?",हेमाश्रि शक भड़ी निगाहें से प्रश्न करती है"नहीं यार मैं हर सोमवार को शाम में मंदिर आता हूँ सो आज भी आया....",हेमंत मुस्कूरा कर कहता है"अच्छा फिर पूजा पर ध्यान दो ना इधर-उधर लड़कियां क्यों तार कर रहे हो?""जब सामने तुम जैसी सुंदर लड़की खड़ी हो