महेश कटारे - पहरूआ

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महेश कटारे -कहानी-पहरूआ गोधन की नींद टूटी तब रात आधी से उतरने लगी थी, क्योंकि सोते में जागते हुए उसे लगा था कि तीसरे पहर का पहरूआ अपने अंतिम हुंकारे भर रहा है। वैसे नींद टूटने से पहरूए का कोई संबंध नहीं था, नींद पर तो ट्रैक्टर की भट्भट् भटभटाती आवाज ने पत्थर फेंके थे, जो धीरे-धीरे बढ़ती हुई गाँव भर पर फैलती आ रही थी। उसने अनुमान लगायाकि ट्रैक्टर गड्ढों और धचकों से भरी डामर रोड़ से, उससे भी दयनीय गिट्टीवाली सड़क पर उतर आया होगा, क्योंकि ट्राली से लटकनेवाली जंजीर झुँझलाती हुई झनझनाहट के साथ ट्राली की टिन