दैहिक चाहत - 19

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उपन्‍यास भाग—१९ दैहिक चाहत –१९ आर. एन. सुनगरया, प्रत्‍येक प्राणी द्वारा जीवन पर्यन्‍त सुख पाना, पाते रहना ही उद्देश्‍य, मकसद, ध्‍येय इत्‍यादि होता है। सुख का रूप कोई भी हो, प्रकार कोई भी हो, भौतिक, मानसिक, शारीरिक, आर्थिक, आत्मियक, हार्दिक, दिव्‍य अथवा आलोकिक, कैसा भी हो।