गुनाहों का देवता - 19

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भाग 19 चन्दर एक फीकी मुसकान के साथ बोला, 'बिनती! अब तुम इतना ध्यान न रखा करो! तुम समझती नहीं, बाद में कितनी तकलीफ होती है। सुधा ने क्या कर दिया है यह वह खुद नहीं समझती!' 'कौन नहीं समझता!' बिनती एक गहरी साँस लेकर बोली, 'दीदी नहीं समझती या हम नहीं समझते! सब समझते हैं लेकिन जाने मन कैसा पागल है कि सब कुछ समझकर धोखा खाता है। अरे दही तो आपने खाया ही नहीं।' वह पूड़ी लाने चली गयी। और इस तरह दिन कटने लगे। जब आदमी अपने हाथ से आँसू मोल लेता है, अपने-आप दर्द का सौदा