विश्वासघात(सीजन-२)--भाग(२)

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दूसरे दिन सुबह के वक़्त मनोरमा का मन कुछ उदास सा था,वो अपने कमरे की खिड़की के पास खड़े होकर बाहर की ओर देख रही थी,इतवार का दिन था बच्चों के स्कूल की छुट्टी थी, इसलिए उसने स्कूल जाने के लिए बच्चों को नहीं जगाया और ना ही अभी तक कोई काम शुरू किया था।। तभी धर्मवीर भी जागा और उसने मनोरमा को ऐसे परेशान सा देखा तो पूछ बैठा___ तुम वहां खिड़की के पास इतनी परेशान सी क्यों खड़ी हो? आप मेरी परेशानी समझने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, मनोरमा बोली।। मैं जानता हूं कि तुम्हारी परेशानी