विश्वासघात(सीजन-२)--भाग(४)

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सुबह होने को थी,हल्का हल्का उजाला हो चला था,अनवर चाचा रेलगाड़ी के डिब्बे के भीतर पहुंचे , करन को अपनी गोद में लेकर करके बैठ गए और परेशान होकर खिड़की से बाहर देखने लगे कि कहीं विश्वनाथ उनका पीछा करता हुआ वहां तो नहीं आ पहुंचा ,तभी एक सेठ जी जैसे दिखने वाले सज्जन भी डिब्बे में घुसे..... तभी करन की आंख खुली और बोला____ मुझे पानी पीना है,अनवर चाचा! अब वहां पानी कहां से आए, फिर रेलगाड़ी चलने का भी वक़्त हो गया था और बाहर विश्वनाथ का भी खतरा था,अनवर चाचा मुसीबत में पड़ गए कि