मिड डे मील - 11

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केशव रघु के साथ चल तो पड़ा मगर उसका मन नहीं था कि वह आज कुछ खाए। जिस खाने को वो हमेशा दूर से देखता रहता था। उसी खाने को आज देखने का मन भी नहीं था। जब दोनों खाना खाने बैठे, तब मास्टरजी ने रघु को पंक्ति के दूसरी तरफ़ बैठने को कहा। वह समझ चुका था कि मास्टरजी क्या कहना चाह रहे हैं। मगर उसने साफ़ मना कर दिया। मास्टरजी ने भी मुँह बिचका लिया। क्या कह सकते थे, आख़िर वह भी उस ज़िले के गाँव के रुतबेदार व्यक्ति का बेटा है। उसके पिता ने भी कुछ क्लॉस