एक झोंका हवा का

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उम्र के सातवें दशक का प्रारंभ, एकसार उबाऊ दिनचर्या, न उत्साह,न उमंग,बस जीवन गुजारा जाता है।जीना किसे कहते हैं काफ़ी पहले ही भूल जाते हैं हम जिंदगी की जद्दोजहद में।कुछ ऐसी ही हमारी जिंदगी गुजर रही थी।बेटा शानदार कॅरियर की ख्वाहिश में मेट्रो सिटी में सपरिवार जा बसा था अभी 2-3 वर्ष पहले औऱ ये हम भी अच्छी तरह जानते हैं कि न हम उनके साथ एडजस्ट कर सकते हैं न वे हमारे साथ,बस साल में एकाध बार मिलना हो जाता है। मैं तो स्वीकार करती हूँ कि अगर आज की पीढ़ी सिर्फ वर्तमान में जीना चाहती है तो हमारी पीढ़ी