दुर्ग की भोर

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जीवन में हम सदैव ही अपने आसपास के वातावरण से प्रभावित होते रहते हैं। इस वातावरण के प्रभाव के कारण ही हमारे अंतः करण में अनेक प्रकार की विचारधाराएं जन्म लेती रहतीं है। ये विचार ही हमें जीवन पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करते हैं । निरंतर जन्म लेने वाले इन विचारों के समुद्र में डूबता उतराता हुआ मानव अपने में ही खोया हुआ कभी प्रेम के सागर में डूब जाता है तो कभी सुख-दुख के थपेड़ों को सहन करता हुआ आगे बढ़ता है और कभी इस वातावरण के प्राकृतिक सौंदर्य को दार्शनिक दृष्टिकोण से देखते देखते स्वयं