कर्तव्य - 2

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कर्तव्य (2) मैं जैसे ही अंदर गई भाभीजी ने मुझे गले लगा लिया और मेरी पहनी हुई फ्राक की खूब तारीफ़ की । मुझे भी अच्छा लगा और मैं उनसे बातें करने लगी ।भाभीजी— “गुड़िया तुम्हारी ड्रेस बहुत सुंदर है,कौन लाया था ।” मैंने बताया—“भाभीजी यह ड्रेस रक्षा बंधन पर बड़े भैया लेकर आये थे, आज ही मैंने पहनी है ।देखो भाभीजी मेरे लिए भैया माला भी लाये थे , यह भी मैंने पहली बार पहनी है; कैसी लग रही है ।” भाभीजी— “अरे वाह क्या बात है