गुनाहों का देवता - 33 - अंतिम भाग

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भाग 33 चन्दर ने कुछ जवाब नहीं दिया। चुपचाप बैठा रहा। बिनती ने सभी खिड़कियाँ खोल दीं और चन्दर के पास ही बैठ गयी। सुधा सो रही थी चुपचाप। थोड़ी देर बाद बिनती उठी, घड़ी देखी, मुँह खोलकर दवा दी। सहसा डॉक्टर साहब घबराये हुए-से आये-''क्या बात है, सुधा क्यों चीखी!'' ''कुछ नहीं, सुधा तो सो रही है चुपचाप!'' बिनती बोली। ''अच्छा, मुझे नींद में लगा कि वह चीखी है।'' फिर वह खड़े-खड़े सुधा का माथा सहलाते रहे और फिर लौट गये। नर्स अन्दर थी। बिनती चन्दर को बाहर ले आयी और बोली, ''देखो, तुम कल जीजाजी को एक तार