वाल्मीकि और भवभूति का दृष्टि भेद रामचरित्र के विशेष संदर्भ में

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किसी भी साहित्यकार का साहित्य, उसके जीवन एवं समाज के प्रति उसकी निजी प्रवृत्तियों एवं आस्थाओं का ही प्रतिबिंबन होता है। भवभूति के साहित्य के परीक्षण से उनके जीवन की कुछ प्रमुख बातें उभर कर आती हैं । 1 वे आदर्शवादी रहे। 2 लोक धर्म की उज्जवल मर्यादा के संरक्षक थे। 3 वे राम के परम भक्त थे, 4 साहित्य में नवीन सर्जनात्मक प्रयोगों समर्थक रहे। 5 दांपत्य के औदात्य उद्गाता थे। 6 भावुक हृदय की तीव्रतम अनुभूतियों एवं संवेगो के गायक रहे। 7 प्रकृति से ही गंभीर और अंतर्मुखी कवि हैं। उनके साहित्यिक वैशिष्ट्यो की यह भंगिमाऐ न केवल