कोट - १०

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कोट-१०एक रात चश्मेवाला अचानक मेरे कमरे में प्रकट हुआ। उसने मेरे से पूछा," तुम्हारा कोट कहाँ है?" मैंने अलमारी से निकाल कर उसे कहा ये है। उसने कोट लिया और स्वयं पहन लिया। मैंने कहा कोट बहुत मैला है लेकिन परिश्रम और प्यार का प्रतीक है। पसीने की गंध इसमें आ रही होगी। पगडण्डियों में तेज चलने पर ,पहाड़ियों में चढ़ने पर, खेतों में काम करने पर अक्सर पसीना निकल जाता था जिसकी गंध कोट में बैठ जाती थी।बर्फ की फाँहें कोट के ऊपर जब-तब गिरकर अनिर्वचनीय दृश्य उत्पन्न करते थे। चश्मेवाला बोला अपने हाथ दिखाओ मैंने उसे हाथ दिखाये।