स्त्री.... - (भाग-8)

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स्त्री......(भाग-8)पिताजी से बात करते करते कुछ देर पहले जो थकान लग रही थी वो बहुत दूर भाग गयी थी......शायद पिताजी भी अपनी पुरानी जानकी की कमी महसूस कर रहे होंगे तभी तो अब वो चमक उनकी आँखों में देख रही थी, जिसकी जगह कुछ देर पहले शायद असमंजस के भाव थे......शायद भी इसलिए कह रही हूँ क्योंकि ये उन्होंने नहीं कहा था, बस मैंने अपनी समझानुसार सोच लिया था। ताँगे वाले काका भी हमारी बातें बड़ी ध्यान से सुन रहे थे।तभी बीच बीच में पिताजी की हाँ में हाँ मिला रहे थे, बस यूँ ही बातें करते करते घर पहुँच