स्त्री.... - (भाग-24)

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स्त्री......(भाग-24)जब मेरी जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा होता है तो अक्सर मुझे डर लगने लगा है कि अब कुछ गलत होने वाला है।डर लगना तो वाजिब ही है.....अपने अनुभव की वजह से डरती हूँ। कुछ भी मुझे सरलता से कभी मिला भी तो नहीं। कभी कभी लगता है कि मेरा नाम जानकी गलत रखा गया है, मेरा नाम तो संघर्ष या फिर मेहनत या मुसीबत होना चाहिए था....काश जिंदगी को जीना आसान होता!! पर शायद फिर सब कुछ अच्छा ही रहता तो भी नीरसता आ जाती। इंसान कमजोर हो जाता है, जब सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता