टेढी पगडंडियाँ - 32

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टेढी पगडंडियाँ 32 गुरनैब जब तक दिखता रहा , किरण वहीं खङी उसे जाता देखती रही फिर वह भीतर आकर धम्म से चारपायी पर ढेर हो गयी । जिंदगी क्या से क्या हो गयी थी । कितना प्यारा था उसका बचपन । एक खूबसूरत प्यारी सी बच्ची जो पूरे टोले की लाडली थी । जो अपने भाई बीरे की जान थी । माँ बाप की उम्मीद थी । बहन सीरीं की दुलारी । पढाई में सबसे तेज । मन लगा कर पढती और हमेशा अव्वल आती । उसकी शिक्षिकाएँ अक्सर कहती , अगर ऐसे ही पढती रही