बसंती की बसंत पंचमी - 12

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शाम को श्रीमती कुनकुनवाला आराम से बैठ कर टीवी देख रही थीं कि उनका बेटा जॉन आया।आज सुबह की पार्टी का बचा खाना ही इतना रखा था कि श्रीमती कुनकुनवाला को इस समय रसोई में जाकर झांकने की भी जरूरत नहीं थी। किचन मे ढेर सारा खाना रखा हुआ और सबके पेट इस तरह भरे हुए कि खाने के नाम पर ही खीज आए।बस इसीलिए वह इत्मीनान से टेबल पर पैर फ़ैला कर सोफे पर जमी हुई थीं। लेकिन अचानक जॉन को देख कर श्रीमती कुनकुनवाला की आंखों में चमक आ गई। जॉन जेब से निकाल कर रुपए गिन रहा था।