साहेब सायराना - 5

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मानव मन भी विचित्र है और मानव तन भी! हर इंसान वही ढूंढता है जो न मिले। उन्नीस सौ चौवालीस में जन्म लेने वाली सायरा ने बचपन से ही अपने पिता को मिस किया क्योंकि वह हिंदुस्तान छोड़ कर पाकिस्तान जा बसे थे। जबकि उनकी मां हिंदुस्तान में ही थीं। उनके पिता भी फ़िल्मों से ही जुड़े थे। यहां तक कि एक बार उनके माता - पिता ने मिल कर एक फ़िल्म निर्माण कंपनी भी बनाई थी। पर शायद उन्हें इस उपलब्धि में आनंद नहीं आया। वो चले गए। यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि बहुत कामयाब या होनहार लड़कियों