समानांतर किनारे

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"नदी के किनारे उद्गम से सागर में समापन तक लगभग समानांतर रहते हैं, जब वक्री होकर अति विस्तृत होते हैं तो सरितप्रवाह अत्यधिक मद्धम हो जाता है और अति सन्निकट होने पर धारा तीव्र वेगवान होकर तटबंधों को तोड़कर विनाशकारी हो जाती है।पति-पत्नी भिन्न परवरिश, परिवेश एवं विचार के दो स्वतंत्र व्यक्ति होते हैं, इसलिए गृहस्थी को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए समानांतर चलना एवं एक-दूसरे के अस्तित्व का मान रखना उचित होता है।"विवाह की त्रितीय रात्रि अर्थात सुहागरात को पति प्रगल्भ द्वारा ऐसी बातों को सुनकर मैं घबरा रही थी कि कहीं उन्होंने विवाह किसी दबाव में