अय्याश--भाग(२८)

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देवनन्दिनी के कमरें में आने के बाद माधव कमरें से चला गया,उस दिन के बाद जब भी जमींदार बाहर गए होते तो मुझे माधव से मिलने का मौका मिल जाता,मैं वहाँ से आजाद होना चाहती थी,मैनें कई बार वहाँ से भागने की कोशिश की लेकिन कामयाब ना हो सकीं,जमींदार अब मुझ पर और भी कड़ी निगरानी रखता,उसे कहीं से भनक हो गई थी कि माधव मुझसे मिलने आता है,इसलिए उसने कहा कि.... अगर मुझे पता हो गया कि तू माधव से मिली है तो उसी रात मैं माधव की बोटियाँ बोटियाँ करके गाँव की नदी में बहवा दूँगा।। मैं इस