Reality Of Logic

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लेखन और लेखक के संबंध में - मेरी अभिव्यक्ति केवल मेरे लियें हैं यानी मेरी जितनी समझ के स्तर के लियें और यह मेरे अतिरिक्त उनके लियें भी हो सकती हैं जो मुझ जितनी समझ वाले स्तर पर हों अतः यदि जो भी मुझें पढ़ रहा हैं वह मेरी अभिव्यक्ति को अपने अनुभव के आधार पर समझ पा रहा हैं तो ही मुझें पढ़े क्योंकि समझ के आधार पर मेरी ही तरह होने से वह मेरे यानी उसके ही समान हैं जिसके लियें मेरी अभिव्यक्ति हैं और यदि अपनें अनुभवों के आधार पर नहीं समझ पा रहा अर्थात् उसे वह अनुभव ही