बंद खिड़कियाँ - 13

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अध्याय 13 अरुणा ने कुछ क्षण उसे घूर कर देखा। "कोई बहुत बड़ी सोच में डूबी हुई हो आप ऐसे लग रहीहैं। ऐसे क्या सोचती हो दादी?" अरुणा की उत्सुकता में एक परिहास भी छिपा हुआ है उन्हें लगा। अरुणा धीरे से मुस्कुराई, "मुझे ऐसा लगता है आपकी यादें बहुत ही दिलचस्प होगी दादी । अम्मा को देखने से ऐसा नहीं लगता। "ऐसा क्यों ?" "अम्मा का सभी अनुभव साधारण ही लगता है। बड़ी सरलता से मिला आरामदायक जीवन है उनका। बहुत गहरा सोचने की मेरी अम्मा की आदत नहीं है।" "मुझे भी क्या, मैं बिना पढ़ी-लिखी, तुम्हारी अम्मा तो