बंद खिड़कियाँ - 14

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अध्याय 14 सुबह उठते ही सरोजिनी को याद आया कि आज शनिवार है और कार्तिकेय की आज छुट्टी है । कल रात सोने जाते समय उसने बोला था। "आपको जाना है बोला था ना, उस बुजुर्ग आदमी को देखने कल चलें ठीक है?" "आपके लिए ही चल रहा हूं"ऐसा कह रहा है उसे लगा। 'इसके अप्पा ने इससे जाने क्या-क्या बोला होगा'यह सोचकर उसे फिक्र लगी। दिनकर मेरा विरोधी है इतना कह कर छोड़ दिया होगा क्या? जंबूलिंगम की गुस्से वाली आंखें गुस्से से चौड़ी दिख रही थी। इस समय सोचने पर भी अजीब सा डर लगता है, सिनेमा के